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हिंदी दिवस प्रतियोगिता


कभी जो समय निकालो
बैठो कुछ बात करें
कुछ बात बहारों की
कुछ रात सितारों की
गलियों की द्वारों की
रस्ते चौबारों की
कुछ मित्रों यारों की
तिथियों त्योहारों की
कुछ घर परिवारों की 
लाखों बाते हैं जो
तुमको समझानी हैं
कुछ तुमसे सुननीहैं
कुछ तुम्हें सुनानी हैं।




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9 Comments

Swati chourasia

22-Sep-2022 04:35 PM

बहुत खूब

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Gunjan Kamal

22-Sep-2022 02:40 PM

शानदार

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Wahhh ,,, बहुत ही गहरे भाव लिए हुयी कविता है

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